विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (दुर्गा मौसी को आज रास्ते के इस वातावरण में पेड़ और पंछी भी बड़े रहस्यमय लग रहे थे)-4 आगे उनकी देखा – सुनी रास्ते में मिलने वाले कुछ अन्य जानवर भी असमय जागते जा रहे थे और सब के सब चिड़चिड़ाकर अजीब सी आवाज में भौंकते- गुर्राते या खौंखियाते इधर से उधर भागते चले जा रहे हों। गाँव के वफादार चौकीदार कुत्तों व अन्य जंगली जानवरों की इस कुसमय भौंकने या चीखने की आवाजों से घबरा कर उस बरगद पर चमगादड़ जैसे कुछ अन्य पक्षियों