अनजान रीश्ता - 31

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पारुल अपने घर का दरवाजा धीरे से चाबी से खोलते हुए घर में पहुंचती है। हॉल और किचेन कि लाइट बंद थी मतलब उसके माता पिता दोनों ही सो गए थे । यह बात पारुल अच्छे से जानती थी वह धीरे धीरे अपने कमरे की ओर पहुंचती है । वह अपने रूम का दरवाजा खोलते हुए धीरे से बंद करते हुए अपने रूम की लाइट ऑन करती है । वह सीधे अपने बेड पर जाके सो जाती है । वह यूंही अपने रूम की छत को देखते हुए वह आज जो भी हुआ उसके बारे में सोच रही थी । वह