फास्ट बोलर

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“ फास्ट बोलर ” आराधना का पैंतीसवां जन्मदिन था | वो रात भर की नींद में सो कर ,सुबह उठी थी | उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो वो एक बड़े अंतराल के बाद , लंबे अरसे के बाद , चार साल के लंबे अरसे के बाद किसी दिवास्वप्न से जागी हो | सब कुछ चिर - परिचित होते हुए भी अन्जाना सा क्यों लग रहा था उसका अपना घर ,अपना बैडरूम, अपने कमरे के परदे ,उसे ऐसा क्यों लग रहा था ,जैसे वो कई साल बाद घर लौटी हो ? वो कहीं भी तो नही गयी थी