मौत का जादू

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इक़बाल ने नफ़ीस की कोठी के अंदर कदम रखा।अंदर का नज़ारा देखकर वो ठिठककर रुक गया। बैठक के बीचोंबीच साढ़े छह फुटा नफ़ीस ज़मीन पर दरी बिछा कर बैठा हुआ था। उसने पालथी मारकर ध्यान की मुद्रा बना रखी थी, आँखें बंद थीं।इक़बाल चुपचाप उसके करीब आया और तेजी से पलकें झपका-झपकाकर उसे देखने लगा। नफ़ीस मानो किसी तपस्या में पूरी तरह से तल्लीन था। अचानक इक़बाल अपना मुंह उसके कान के एकदम करीब लाया और धीरे-से बोला-“मिंया नफ़ीस खान ठेकेदार करोड़पति!”“क...कौन?” नफ़ीस ने हड़बड़ाकर आँखें खोलीं।“गुस्ताख को इक़बाल कहते हैं।”“ओफ्हो! डिस्टर्ब कर दिया। अपुन कित्ता अच्छा ध्यान लगाये बैठे