चंद लम्हों की टकरार

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चंद लम्हों की टकरार पूरे 4 साल..... हा, चार साल बाद उसे मिल रही थी और वो भी एक्सीडेंटली। उसे देख दो पल के लिए तो लगा जैसे सब थम सा गया था। सोक, हैप्पीनेस, सेड़नेस पता नहीं कोनसा इमोशन जागा था। कुछ अलग सा लगा था। सायद पुरानी यादों का असर था। उसमे भी तो था, हर ईमोसन आेर वो भी ओवरलोडेड..... लेकीन पता तो है, एसे नहीं