वीर शिरोमणिः महाराणा प्रताप ‌।(भाग-(१)

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वीणापाणि नमन है तुमको, मेरे कंठ में कर लो वास।देकर ज्ञान पुंज हे माता, निमिष में संशय कर दो नाश।।हे गौरी-शिव शंकर के सुत, मुझ अज्ञानी का ध्यान करो।कर दो विवेक की वर्षा अब, और प्रभु मेरा अज्ञान हरो।।वीरों की गाथा लिखने को, काली को शीश झुकाते हैं।जिनको ग्रीवा की माला में,बस नर के मुण्ड लुभाते हैं।।भारत वीर भोग्या वसुधा, जिसकी मिट्टी भी चंदन है।जिसके वीरों ने धरती पर,वारा कुबेर का कंचन है।।आर्यों की वसुंधरा भारत, वीरों की अदभुत थाती है ‌।उस भरतभूमि को है प्रणाम, देवों को भी जो भाती है।।जब वीर और सा