कीमती साड़ी" माँ ! कहाँ रखी हैं अलमारी की चाबियाँ ? दो ना जल्दी से " दीपू राजधानी एक्सप्रेस की गति से मां के कमरे में चिल्लाती हुए आयी और पूरे कमरे में इधर से उधर लम्बें-लम्बें कदमों से दौड़ने लगी।"अरे दीपू तू ही देख ना बेटा यहीं कहीं रखी होगी" माँ ने रसोईघर में से ही दीपू को जवाब दिया । माँ अक्सर चाबियाँ इधर उधर रखकर भूल जाया करती थी, आज भी कुछ ऐसा ही हुआ।"ओहो माँ ! आप भी ना , कुछ भी ध्यान नहीं रहता है आपको, ऐसे चाबियाँ रखकर कौन भूलता है भला ? सही