वह रात

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कई बार हम पूर्वाग्रह से प्रेरित भयवस कुछ ऐसा कर जाते है कि जीवन भर के लिए एक घाव जो हृदय के एक कोने मे नासूर बन कर स्थान पा लेता है | सामान्यत: सुसुप्तावस्था मे आभासशून्य होने के बावजूद भी एकान्त चिन्तन का स्पर्श पीड़ा की अनुभूति कराता रहता है| शर्दियो का मौसम था ,और उसपर दिल्ली जैसे शहर की निकटता का असर |हाल कुछ यूँ था कि एक घण्टा पहले रख्खा पानी भी तलवार का रूप ले लेता था, अर्थात पानी मे हाथ डालते ही लगता कटकर गिर ही जायेगा | हाथ बाहर निकाल लेने के पश्चात भी