स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (8)

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स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी (8)'जब भालूजी भये हनुमान...' जो लोग बच्चों को नादान समझते हैं, वे सचमुच नादान हैं। चंट बच्चा नादान नहीं होता, वह अपनी उम्र से अधिक कल्पनाशील, उद्यमी और कारसाज़ होता है। हमीं हैं, जो गफलत में रहते हैं और उसकी उड़ान को पहचान नहीं पाते। यह महज़ एक कथन नहीं है, इस बात का पुष्ट प्रमाण मेरे तरकश में है। एक वाकया सुनाता हूँ। लेकिन इसे छोटे बच्चों को मत सुनाइयेगा, अन्यथा वे इसकी प्रामाणिकता सिद्ध करने के प्रयोग में जुट जाएँगे।बात पुरानी है--सन् १९६०-६१ के आसपास की। तब बड़ा उद्धमी था मैं !