विधवाएं

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विधवाएं नीला प्रसाद ‘किसी का हर वक्त आसपास होना वह तटस्थता स्थापित होने नहीं देता जो उसे ठीक से समझ पाने की दृष्टि देता है। हर वक्त का साथ एक ऐसा आवरण रच देता है जिसमें से दूसरे व्यकितत्व का सच छन कर ही आ पाता है, जस का तस नहीं! आसपास जिससे और जैसी बातों से धिरे रहते हैं, उसे भी विश्लेषित करने में चूकने और उसके पार की दुनिया भूलने लगते हैं हम! एक घर होता है - सजा-सजाया, सुरक्षित दो बच्चे होते हैं - सुंदर, स्वस्थ, होनहार बैंक बैलेंस होता है - भारी और कई-कई शाखाओं में