गीता की मदद

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कहानी एक लड़की की है, जो न जाने कितनी नज़रो से परे होकर घर से कदम बाहर निकालती है। न जाने कौन कहा किस उम्मीद को लिए बैठा होगा। एक लड़की जो ज्ञान की तलाश में घर से तो निकली मगर काली नज़रो को पीछे छोड़े। गीता एक दिन घर से कॉलेज जा रही थी। खुश थी, मन में रोज की तरह व्याकुलता थी आज क्या नया सिखने को मिलेगा, कॉलेज में। मगर सवेरा रोज की भांति हुआ वो घर से स्टैंड पर पहुची। लोगो की कतार थी उसके आगे पीछे, वो सब छोड़ बस के इंतज़ार मे खड़ी थी।