किसी ने नहीं सुना - 5

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किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मगर इन सब के बावजूद मैंने कभी भी संजना के तन को पाने के लिए गंभीरता से नहीं सोचा था। इसलिए जब अचानक ही उसने एल.ओ.सी. अतिक्रमण का अधिकार मुझे देने की बात बेहिचक कही तो मैं हतप्रभ रह गया था। मैं व्याकुल हो उठा था इस बात के लिए कि वह अपनी बातों को विस्तार न दे तुरंत बंद कर दे। लेकिन वह चुप तब हुई जब शाम को कहीं अलग बैठकर बात करने का प्रोग्राम तय हो गया। तय स्थान पर पहुंचने के लिए हम दोनों छुट्टी होने से एक