नशा

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"देखना एक दिन मेरा बेटा अफसर बनकर लौटेगा" रुंधे हुए गले और नम आँखों से पिता अपनी बेटी सीमा की पीठ थापथपाते हुए उसे ढांढ़स बंधा रहे थे। पहली बार सीमा अपने घर से दूर जा रही थी। पिता ने अब तक की अपनी जमा पूंजी इकठ्ठी कर दिल्ली की एक बड़ी कोचिंग क्लास में सीमा का एडमिशन करवाया है। एक मध्यमवर्गीय परिवार के पास सपनों के अलावा और होता भी क्या है, बस अपने इन्हीं सपनों को बक्से में भर कर सीमा दिल्ली पहुंच गयी। अपने गाँव के एक छोटे से हिंदी मीडियम सरकारी