रात के ढाई बज रहे थे,हवाएं थोड़ी तेज़ चलने लगी थीं,कमरे की खिड़कियां बोहत शोर कर रही थीं,इसी वजह से कबीर को नींद भी नही आ रही थी काफी शोर और बैचेनी उसे सोने नही दे रही थी.कबीर उठकर सीधे वॉश रूम गया और उसने शावर चालू किया और पानी की फुआर से थोड़ी बेचेनी ठंडी कीफिर अपने लंबे बालों को सहलाते हुए रूम में आया और टॉवल उतार कर अपना नाईट सूट पहना और एक सिगार निकाली और सिगार के लंबे कश मारने लगा,कश मारते हुए वो गार्डन में आया,हवाएं अब हल्की चल रही थी,शोर काफी कम हो गया था,वो