ईश्वरत्व का अहंकार - 2

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ईश्वरत्व का अहंकार भाग-2 अलेक को एक अपारदर्शी शीशों वाली कार में एक भव्य भवन मे लाया गया था और पहुंचते ही हिदायत कर दी गई थी कि बिना आदेश वह कहीं जा नहीं सकता है। उस आदेश का अनुपालन कराने हेतु स्थान स्थान पर अनेकों सशस्त्र संतरी खड़े हुये थे। उस भवन की चहारदीवाली इतनी उूंची थी कि उसके बाहर से अंदर का अथवा अंदर से बाहर का कोई दृश्य दिखाई पड़ना असम्भव था। अलेक का मन इन सब सीमाओं और बंधनों से अछूता सातवें आसमान पर उड़ रहा था। वह अपनी माँ की स्लम-स्थित झोपडी़ की याद को