किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 संयोग यह कि इसे मैंने एक बार संजना के यह कहने पर ही खरीदा था कि यार कब तक पुराने मोबाइल पर लगे रहोगे। इससे आवाज़ साफ नहीं आती। नया लो न। आज उसी मोबाइल ने हमारी पोल खोल दी थी। मुझे हक्का-बक्का देखकर बीवी कुछ क्षण मुझे देखती रही फिर मोबाइल मेरी तरफ धीरे से उछाल दिया। उसकी आंखें भरी थीं। वह बेड से उतर कर अलमारी से अपना नाइट गाउन निकालने को चल दी। मेरी एक नजर उसके बदन पर गई मगर मेरा मन शून्य हो गया था। भावनाहीन हो