जो घर फूंके अपना - 19 - झूठ बोले कौवा काटे

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जो घर फूंके अपना 19 झूठ बोले कौवा काटे त्रिवेणी के ठंढे पानी में डुबकी लगाने से जैसे जैसे घबडाहट कम होती गयी पछतावा वैसे वैसे बढ़ता गया. क्या ज़रूरत थी बेकार में इतना झूठ बोलने की? मैंने अतीत में झांका तो पाया कि जब भी कभी कोई छोटा सा झूठ भी बोला था बुरा फंसा था. ऐसा ही कुछ दिन पहले लखनऊ में हुआ था जहां एक थानेदार साहेब मेरी और मेरे एक दोस्त की तलाश शायद अभी भी कर रहे हों. नहीं, कोई ह्त्या या डकैती का मामला नहीं था. बस एक छोटा सा झूठ बोला था मैंने.