झूठी शान

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” क्या कह रहे हो ? ……कैसे ? ………. ये कब हुआ ? ” फोन पर बात करते हुए अशोक बाबू अचानक उत्तेजित हो उठे थे । फोन पर दूसरी तरफ से कुछ कहा गया । ” धन्यवाद भाईसाहब ! हमें सूचित करने के लिए । मैं आ रहा हूँ …..” कहने के साथ ही अशोक बाबू ने जोर से अपनी धर्मपत्नी सीता को आवाज लगाई ,” अरे भागवान ! सुन रही हो ! हमें जल्द से जल्द नरसिंहपुर पहुँचना होगा । रजनी की हालत गंभीर है । अभी पड़ोस के रामबाबू का फोन आया था । ” भीतर से लगभग दौड़ कर