एक कहानी है पर कहानी जैसे नहीं.

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अचानक खुश होने के बाद अपने दाएं हाथ को देखते हुए सवाल करता हूं, की यह ख़ुशी कब तक मेरे वर्तमान में बनी रहेगी? मानों सारी ख़ुशी हाथों में छुपी हो और यह सवाल उसके लिए है।जब लगता है अधिक खुश हूूॅ तब हाथो की लकीरों को उंगलियों से छूने लगता हूॅ। इस वक्त नई ख़ुशी के लिए हाथ में एक जगह बना रहा होता हूॅ। अचानक आई नई ख़ुशी बहुत जगह घेर लेती है। जब हाथों में ख़ुशी शामिल नहीं होती तो हाथ खुद कह देता, अब और जगह नहीं बची इन लकीरों में। कल का इंतजार कर सकते