अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - 15

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पिछले भाग में आपने पढ़ा... तो निष्कर्ष्र यह निकलता है कि प्रशंसा एक ब्रह्मास्त्र है और कोई भी इस अस्त्र से बच नहीं सकता। क्योंकि थोड़ी बहुत प्रशंसा तो हज़म की जा सकती है लेकिन इसकी अधिक मात्रा मनुष्य का दिमाग घुमा देती है। प्रशंसा का भी अपना एक नशा होता है। व्यापारी अपने इन्ही विचारों में डूबा हुआ था और वह नवागांतुक अपने दोनो साथियों को समझा रहा था कि उन्हें इस क्षेत्र से निकलकर किस प्रकार उस खाई को पार करके ऊपर पहाड़ के शिखर पर पहुंचना होगा क्योंकि वह स्थान इस युद्ध से अप्रभावित रहेगा और उस