जो घर फूंके अपना - 18 - आग के दरिया से संगम के शीतल पानी तक

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जो घर फूंके अपना 18 आग के दरिया से संगम के शीतल पानी तक ट्रेन चल पड़ी तो मैं भी कुछ मिनटों में किसी तरह उठ कर खड़ा हो गया. पहले एक अंगूठे के ऊपर, फिर दो मिनट के बाद पूरे एक पैर पर और फिर आधे घंटे के बाद दोनों पैरों पर खड़ा होने की जगह बनती गयी. बैठने का प्रश्न नहीं था. माथे से पसीना पोंछ कर, अस्त व्यस्त कपडे ठीक करके जब सहयात्रियों पर नज़र डाली तो देखा कि अधिकाँश पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग थे -दिल्ली में छोटी मोटी नौकरियाँ करने वाले. एकाध मिनट