बिखरते सपने (8) ‘‘हाँ ये तो है। पर तुम चिन्ता मत करो। स्नेहा का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।’’ ‘‘एक बात है अंकल, जब स्नेहा दीदी को यह खबर मिलेगी, कि पापा ने उसे पिकनिक पर जाने के लिए हाँ कर दी है, तो खुशी से वह पागल हो जायेगी।’’ मुन्ना ने बीच में बोलते हुए कहा। ‘‘हाँ, यह तो है। अच्छा मिस्टर गुप्ता अब मैं चलता हूं। आप अपने घर फोन करके कह देना कि स्नेहा अपनी जाने की तैयारी कर ले।’’ ‘‘ठीक है, मैं उसे फोन कर दूंगा।’’ दोपहर का समय था। स्नेहा अपने कमरें में अकेली बैठी