स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (3)

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स्वप्न हो गये बचपन के दिन... (3)माया के मोहक वन की क्या कहूँ कहानी परदेसी...(ख) : कानों सुनी, आँखों देखी...मेरी बड़ी बुआजी (कमला चौबे) पिताजी से दो वर्ष बड़ी थीं। उनका विवाह शाहाबाद जिले के एक समृद्ध गाँव 'शाहपुरपट्टी' में हुआ था। पटना-बक्सर मुख्य मार्ग पर बसा यह गाँव अपेक्षाकृत अधिक उन्नत ग्राम था। बड़े फूफाजी (देवराज चौबे) ए.जी. ऑफिस, बिहार में आंकेक्षक के पद पर बहाल थे। गाँव में फूफाजी का बड़ा मान-सम्मान था, खेती-बारी थी, धन-धान्य--सब था। उनकी एक ही कन्या संतान थी, जो अल्पायु रही। उन्हें विचित्र हृदय रोग था। पाँच-छह कदम की दूरी पर खड़ा व्यक्ति