डाइन हृषीकेश सुलभ वह आधी रात के बाद अचानक प्रकट हुई थी. उसके आने की दूर–दूर तक कोई उम्मीद नहीं थी. जेठु मंडल अर्जि़यां लिखने में व्यस्त था. उसे आज रात कलक्टर और जिला परिषद् के चेयरमैन के नाम अर्जि़यां तैयार करनी थी. बात बनते–बनते बिगड़ चुकी थी. कलक्टर के पीए के समधी के मार्फत उसने नये सिरे से कोशिश शुरू की थी. उस पीए ने एक नया रास्ता सुझाया था और मदद का भरोसा दिया था. जिला परिषद् के चेयरमैन तक पहुंचने में उसके छक्के छूट गये थे. उसके दूर के एक रिश्तेदार का बेटा चेयरमैन का खास शूटर