रात दस बजे

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मैं बस सोने ही जा रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने घड़ी में time देखा तो दस बज रहे थे, मैंने सोचा इतनी समय कौन हो सकता है, दरवाजा खोला तो सामने सुलक्षणा खड़ी थी मेरे बचपन की सहेली__ अरे,तू इतनी रात को,ना कोई phone ना कोई खबर और अकेले कैसे आ गई,तेरी तो बहुत तबियत खराब थी___ सब दरवाजे पर ही पूछ लेंगी कि अन्दर भी आने देगी, लगता है राधिका तुझे मेरे आने से खुशी नहीं हुई जो तू इतने सवाल पूछ रही हैं........ अरे नहीं,तू अचानक बिना खबर दिए आ गई तो मुझे विश्वास नहीं