भीड़ में (3) ’कभी उसने केवल ’गुडनाइट’ नहीं कहा. ’गुडनाइट बाबूजी’ ही कहता रहा है. लेकिन नौकरी के बाद मुझसे मिला ही कितनी बार---चार बार. और तब ऎसा अवसर भी नहीं आया. आज उसका बदला रुख देख आश्चर्य हो रहा है. क्या आई.ए.एस.—पी.सी.एस. बनने वाले सभी बच्चों की मूल प्रकृति में परिवर्तन हो जाता है. क्या मेरा यहां आना उसे अच्छा नहीं लगा, इसीलिए ’गुडनाइट’ कहकर---मेरे इतना सब कहे को एक शब्द में ध्वस्त कर वह चला गया.’ देर तक उन्हें नींद नहीं आई. सुबह रमेन्द्र के उठने से पहले ही नहाकर तैयार हो अखबार देख रहे थे. सात बजा