बिखरते सपने (5) ‘‘ओ के, बाय मम्मी, बाय पापा...’’ दोनों ने एक साथ कहा। ‘‘बाय बेटा, बेटा ठीक से जाना...और हां, स्नेहा भईया का ध्यान रखना...बस में ठीक से चढ़ाना और ठीक से उतारना।’’ ‘‘ठीक है पापा।’’ कहकर दोनों चले जाते हैं। मिस्टर गुप्ता ध्यान से उन्हें जाता हुआ देखते हैं तो सपना कहती है, ‘‘क्या हुआ, इतने ध्यान से क्या देख रहे हैं...? ‘‘तुम्हें क्या लगता है सपना, बड़े होकर हमारा मुन्ना बैडमिन्टन का बड़ा खिलाड़ी बनेगा न...?’’ ‘‘मुन्ना जब बड़ा होगा, तब-की-तब देखी जायेगी। अभी उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।’’ ‘‘तुम नहीं समझोगी सपना, मुन्ना