उन दिनों हमारी पोस्टिंग मेरठ में थी| सरकारी क्वार्टर मिला हुआ था सो अपनी धर्मपत्नी के साथ वहीँ रहते थे| यूँ तो जब से हमने घर से बाहर रहना शुरू किया था, यानि की स्नातक की पढाई करने के लिए अपने घर से लखनऊ पहुचे थे, तब से हमें ये कतई पसंद नही था की कोई हमारे घर से वहां आये| हम तो हर हफ्ते घर चले ही जाते थे सो कभी ऐसी कोई जरुरत भी नही पड़ती थी| चलो तब तो पढाई कर रहे थे, छात्र जीवन कैसे जिया जाता है सब जानते है, अब ऐसे में घर वालों