रात के तीन बजे

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रात के 12:00 बज चुके थे लेकिन डर के मारे राशि की आंखों से नींद कोसों दूर थी। यह मानव स्वभाव है कि जिस आदमी के साथ वह बरसों गुजारता हैं, अपने सुख दुख बांटता है। मृत्यु के बाद दिन में हम उसे याद कर आंसू बहाते हैं और रात में वही यादें हमें डराती है। आज सुबह राशि की सास का देहांत हो गया था। दिनभर आस-पड़ोस रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा रहा । क्रिया के बाद शाम होते होते सभी रिश्तेदार , पड़ोसी व जेठ जेठानी भी अपने घर चले गए। घर में सिर्फ राशि उसकी बड़ी ननद पति व