निर्वाण - 1

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निर्वाण (1) 15 अगस्त, 2016 आमफावा फ्लोटिंग मार्केट की सीढ़ियों पर उस दिन हम देर तक बैठे रहे थे। हम यानी मैं और माया- माया मोंत्री! बिना अधिक बात किए। दिसंबर की यह एक धूप नहायी सुबह थी, बेहद ताज़ा और ठंड, दिन चढ़ने के साथ धीरे-धीरे मीठी ऊष्मा से भरती हुई... हवा में अजीब-सी गंध थी- घाट की अनगिनत सीढ़ियों पर तितली के रंग-बिरंगे जत्थे-से मँडराते पूरी दुनिया से आए सैलानियों की देह गंध, नावों में पकते-बिकते थाई पकवानों की गंध और गंध नदी की, नावों में लदे मौसमी फूलों और फलों की... गंध के इस मसृण संजाल में