रंगून क्रीपर और अप्रैल की एक उदास रात - 2

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रंगून क्रीपर और अप्रैल की एक उदास रात (कहानी : पंकज सुबीर) (2) ‘‘कॉलेज में नंदू और हमारी पहचान हुई। हम दोनों उन्नीस-बीस की उमर में थे। नंदू और मेरे बीच लव एट फर्स्ट साइट वाला मामला ही हुआ। कॉलेज के शुरू के दिनों में ही हमारी दोस्ती ऐसी हुई कि अब तक चल रही है। टच वुड।’’ कहते हुए शुचि ने कुर्सी के लकड़ी के हत्थे को छू लिया। ‘‘कॉलेज के दिन हमारे जीवन के सबसे सुनहरे दिन होते हैं, वो फिर कभी नहीं लौटते। इन दिनों को भरपूर जीना चाहिए। भरपूर। जिस गोल्डन टाइम की बात की जाती