बिखरते सपने - 1

  • 14.7k
  • 4.4k

बिखरते सपने उपन्यास के बारे में बिखरते सपने, एक ऐसी लड़की स्नेहा की कहानी है, जिसके पापा आधुनिक युग में भी निहायत ही रूढंीवादी और संकुचित विचारों के थे। वह स्नेहा को सिर्फ एक लड़की ही मानते थे। वह यह विश्वास नहीं करते थे कि एक लड़की भी लड़कों की बराबरी कर सकती है। उन्होंने स्नेहा को सख्त हिदायत दे रखी थी कि वह कोई भी ऐसा काम न करे, जो लड़के करते हैं, विशेषकर उन्हें लड़कियों के खेलने-कूदने से बेहद चिढ़ थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी स्नेहा कोई खेल, खेले, जबकि स्नेहा को बचपन से ही बैडमिन्टन