भदूकड़ा - 27

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कुन्ती ये भी जानती थी, कि फिलहाल ये बात टली तो फिर सबके दिमाग़ से उतर भी जायेगी. क्योंकि न तो इस बात का ज़िक्र भैया करेंगे, न भाभी. हां वे दोनों सुमित्रा को जब भी देखेंगे तो उसकी जगह उन्हें भाभी की साड़ी का फटा हुआ लाल-सुनहरा आंचल लहराता दिखाई देगा, और उसके लिये भैया के मन में स्थाई दूरी बनी रहेगी. यही तो चाहती है कुन्ती. मन ही मन ठठा के हंसती कुन्ती की हंसी ज़ोर से निकल गयी, तो बरामदे में ज़रा दूरी पर बैठे बाऊजी ने सिर उठा के कमरे के अन्दर देखने की कोशिश की,