कुन्ती हमेशा की तरह बुक्का फाड़ के रोने लगी. अम्मा ने जल्दी से सबको अन्दर किया. ’का हुआ बेटा? काय रो रईं? कछु बोलो तौ...!’ ’अम्मा..... जे सुमित्रा ने करवाया सब. इसी के कारण हमें भागना पड़ा...!’ अब एक बार फिर अम्मा के अवाक होने की बारी थी. अब एक बार फिर अम्मा के अवाक होने की बारी थी. कुन्ती ने जब अपनी करनी सुमित्रा जी पर थोप के कहानी बनाई और अम्मा को सुनाई तो उन्हें ये समझने में एक मिनट भी न लगा कि ये पूरी हरक़त कुन्ती की है और ये फिर उसी तरह सुमित्रा को फंसा रही जैसे