कुबेर डॉ. हंसा दीप 17 इस यात्रा में भी दादा और डीपी दोनों जॉन के घर ही रुके हुए थे। जॉन ने डीपी की हालत देखी तो कुछ दिन रुकने का प्रस्ताव रखा – “डीपी देखो, कुछ दिन रुक जाओ फिर चले जाना।” डीपी के लिए यह सोचना भी संभव नहीं था। वह तो भारत जाकर जीवन-ज्योत में सबसे मिलना चाहता था, सबको देखना चाहता था, बताना चाहता था कि – “दादा कैसे अचानक हम सबको छोड़कर चले गए।” उसे चुप देखकर जॉन ने समझाने की कोशिश की तो वह बोला – “नहीं भाईजी, मैं जाना चाहता हूँ भारत।” “अगर