कुबेर डॉ. हंसा दीप 12 समय के तो पंख होते हैं। घड़ी चलती है, बंद होती है पर समय का चलना बंद नहीं होता। कई बार लगता है कि समय चल नहीं रहा, उड़ रहा है जैसे कि रुक गया तो अपनी दौड़ में पीछे रह जाएगा। समय के साथ चलते मैरी, नैन्सी और डीपी एक दूसरे के विकल्प थे, एक न मिला तो दूसरा, दूसरा नहीं दिखा तो तीसरा। जीवन-ज्योत को चलाने में कई हाथों की ज़रूरत होती थी। इस बात का सबसे अधिक डर होता था कि कहीं कोई ग़लत काम में संलग्न न हो जाए, बच्चे भी