दास्ताँ ए दर्द ! - 12

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दास्ताँ ए दर्द ! 12 आज सत्ती काफ़ी सहज लग रही थी, उस दिन के मुकाबले | न जाने क्या कारण था ? शायद वह रीता से काफ़ी खुली हुई थी, रीता ने कभी उसके तंग समय में उसकी बहुत सहायता की थी | यूँ, देखा जाए तो उसका समय आज भी लगभग वैसा ही था किन्तु किसी बात को बार-बार आख़िर कितनी बार दोहराया जा सकता है !कोई किसीकी कितनी सहायता कर सकता है ?किसी भी रूप में सही | चाय पीते समय भी एक सहमी हुई शांति पूरे वातावरण में पसरी रही, किसीको भी समझ नहीं आ रहा था बात कहाँ