दास्ताँ ए दर्द ! - 11

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दास्ताँ ए दर्द ! 11 प्रज्ञा के भारत वापिस लौटने के अब कुछ दिन ही शेष रहे थे, समय बीतता जा रहा था और उसके मन में सतवंत कौर यानि सत्ती के प्रति और भी अधिक उत्सुकता बढ़ती जा रही थी | देव और रीता दोनों ही सप्ताह के पाँच दिन अपने -अपने काम में व्यस्त रहते थे | सत्ती को घर पर लाने के लिए समय निकालना था |शनिवार को यूँ तो रीता व देव मॉल जाकर सप्ताह भर का राशन-पानी, घर का ज़रूरी सामान इक्क्ठा लाकर रख देते लेकिन उस दिन रीता ने कुछ ऐसा माहौल बनाया कि बच्चे देव के साथ बाज़ार चले जाएंगे और इस शर्त