दास्ताँ ए दर्द ! - 9

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दास्ताँ ए दर्द ! 9 दीक्षा की कार के रुकने की धीमी सी आवाज़ सुनाई दी |कोई शोर-शराबा , आवाज़ न होने से गाड़ी के हल्के से रुकने की आवाज़ दिन में भी वातावरण में सुनाई दे गई थी | "दीदी ! दीक्षा आ गई हैं, आपको चेंज करना है क्या ?" रीता उस समय किचन में थी, कार की आवाज़ से उसने कमरे में आकर खिड़की से दूर से ही देखा | "नहीं, ठीक तो है, चेंज की ज़रुरत नहीं लगती | तुम कहो तो ----भाई, आखिर तुम्हारे सम्मान की बात है " प्रज्ञा ने रीता से पूछा | "हाँ, मुझे भी ठीक लग रहा है | चलिए,