दास्ताँ ए दर्द ! - 7

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दास्ताँ ए दर्द ! 7 इस बार प्रज्ञा अप्रेल माह के अंत में इंग्लैण्ड पहुँची थी, उसे आश्चर्य हुआ लंबे, नंगे पेड़ों को देखकर जो रीता ने बताया था, जिन्होंने हाल ही में अपने वस्त्र उतार फेंके थे, बिलकुल निर्वस्त्र हो गए थे लेकिन बगीचे में अनेक जातियों के रंग-बिरंगे फूल मुस्कुरा रहे थे | बगीचे को घेरती हुई एक फैंसिंग बनाई गई थी जिसके पीछे लंबे-लंबे पेड़ थे | इतनी दूरी से वह केवल उन वस्त्रविहीन पेड़ों को देख पा रही थी, इससे अधिक कुछ नहीं |इस बार वह तीन माह यहाँ रही और इन तीन महीनों में उसने लंदन के कई रंग देखे, कई लोगों से उसका परिचय हुआ | एक