इक्क ट्का तेरी चाकरी वे माहिया... - 4 - अंतिम भाग

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इक्क ट्का तेरी चाकरी वे माहिया... जयश्री रॉय (4) उसे उस गैर मुल्क में इस हालत में छोड़ कर आते हुये उन सब का दिल भर आया था। आते हुये बंदूक उन्हें जाने किन नजरों से देख रहा था। बुदबुदा कर किसी तरह कहा था- यारो! मैंनू छोड कर जांदे हो! वेख लईं, मैं नी बचणा!कश्मीरा ने किसी तरह डरते हुये एजेन्टों से पूछा था- इसे कुछ हो गया तो? एक एजेंट ने लापरवाही से कहा था, मर गया तो किसी खाई में लाश फेंक देंगे। कभी किसी को नहीं मिलेगी। बच गया तो दूसरे दल के साथ आ जाएगा।