कशिश - 28

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कशिश सीमा असीम (28) हाँ उन्हें अपने दिल में बसा लेती हूँ फिर देखे वे किधर जाएंगे या जिधर भी जाएंगे मेरा दिल उनके साथ साथ चला जाएगा तब न वो अकेले और न मैं अकेली हर जगह हम एकदूसरे के साथ साथ ! अरे पारुल वहाँ क्या कर रही है आओ इधर हमलोगों का एक फोटो तो खीच दो ! हे भगवान राघव को उसकी याद भी आई तो कम के लिए ! वो मन ही मन मुस्कुराइ ! वैसे कोई अपना या बेहद खास होता है न वो कम के वक्त ही याद आता है ! जी लाइये