बाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं ‘ मोनू ‘ था ।मोनू एक दस वर्षीय अनाथ बालक था । अपनी दुकान के बगल में चाय वाले की दुकान पर ही उसे पहली बार देखा था । मोनू अपना काम बड़ी जिम्मेदारी से और फुर्ती से करता था । चाय वाले को भी उससे कोई शिकायत नहीं थी कि अचानक एक दिन वह गायब हो गया । चायवाले से पूछने पर उसने बताया ” कुछ सिपाही आये थे और मोनू को काम करता देख ‘ बाल श्रम अधिनियम