निश्छल आत्मा की प्रेम-पिपासा... - 37

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'फिर आ पहुंचे दो श्वेतवस्त्रधारी देवदूत'…मित्र के घर देर से जागा और एक कप चाय पीकर दूसरे मित्र के घर गया। वह मुझे देखते ही शर्मसार हुए, कहने लगे--'कल श्रीमतीजी ने बहुत बखेड़ा कर दिया था। बहुत दुखी हूँ यार कि कल रात मैं आ नहीं सका ! ये बताओ, संपर्क हुआ क्या? समाधान का कोई सूत्र तुम्हें मिला क्या?'मैं उन्हें क्या बताता, बस इतना भर कहा कि 'तुमने जिनका आह्वान करने को कहा था, वे तो आये नहीं; लेकिन मेरी पूर्वपरिचित एक आत्मा ने मुझे बताया है कि तुम्हारी पत्नी को किसी प्रकार की प्रेत-बाधा नहीं है। उनका बहुत