अन्तःपुर के वातायन से…ज़िन्दगी एक वेगवान् नदी-सी है, जो टेढ़ी-मेढ़ी राह चलती है और हर पल रंग बदलती रहती है। उसे कभी सीधी-सपाट सड़क नहीं मिलती। ज़िन्दगी में छोटी राहें (short-cuts) नहीं होतीं।... नवम्बर १९७८ में मेरा विवाह हुआ था और मेरे जीवन की दिशा बदल गयी थी। राग दूसरी डाल से बँधने लगा था। एक वर्ष की अवधि भी पूरी नहीं हुई थी कि पांच वर्षों से सेवित दिल्ली १९७९ में मुझे छोड़नी पड़ी। जीवन में परिवर्तनों का दौर शुरू हुआ। कई पड़ावों पर रुकती-ठहरती, चक्रवातों से जूझती और नौकरियाँ बदलती ज़िन्दगी ज्येष्ठ और कनिष्ठ कन्या की उपलब्धि के साथ