निश्छल आत्मा की प्रेम-पिपासा... - 32

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उस रात वह मेरे पास थीं…उस रात की परा-वार्ता के बाद शर्माजी तो अलभ्य हो गए! मैं चिंता में पड़ा रहा कि आख़िर हुआ क्या! आत्मा से मिली सूचनाएँ सत्य सिद्ध हुईं या....? पंद्रह दिनों की प्रतीक्षा के बाद मैंने फ़ोन किया तो किसी ने फ़ोन उठाया नहीं। प्रतीक्षा और व्यग्रता बढ़ती गई। एक दिन पिताजी ने भी जिज्ञासा की--'भई, तुम्हारे शर्माजी तो गायब ही हो गए। उन्होंने यह भी बताना ज़रूरी नहीं समझा कि उनकी समस्या सुलझी कि नहीं! बातचीत से तो भले आदमी लगे थे, उन्हें स्वयं तुम्हें सारी बात बतानी चाहिए थी।'मैंने पिताजी से कहा कि 'मैंने