आघात डॉ. कविता त्यागी 21 कौशिक जी और रमा अपनी बेटी की स्थिति देखकर अत्यन्त व्याकुल हो गये। उन्होंने सांत्वना देते हुए उसको चुप कराया कि रोना किसी समस्या का समाधन नहीं होता है । उसे समझाया कि वह केवल अपने बच्चे सुधांशु के पालन-पोषण पर ध्यान केन्द्रित करे, अन्य किसी भी बात की चिन्ता न करे, क्योंकि समय में स्वयं इतनी शक्ति है कि वह धीरे-धीरे सभी समस्याओं का समाधन कर देता है । पिता का आश्वासन पाकर पूजा चुप हो गयी और दूसरे कमरे में, जहाँ उसका बेटा सुधांशु सोया हुआ था, चली गयी। यश का अपने पिता