ये कैसा इश्क है

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ये कैसा इश्क हैरहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|ईतने जोर से आवाज़ सुनते ही रहीम तुरंत ही बहार भागते हुए आकर दरवाज़ा खोलते हैं| तो पाते हे कि अब्दुल बाहर खड़ा था | वोही अब्दुल जिससे रहीम ने 250000 का कज॔ ले रखा था |अरे जनाब लाइये मेरी मोटी रकम जल्दी कीजियेगा मुझे और काम है |हाथ जोड़ते हुए अब्दुल भाई रेहम कीजिये मेरे पास अभी आपको देने के लिये इतनी