"कोई बात नहीं, विमला ।एक अचार की बरनी ही तो तोड़ी है गुड़िया ने ", गुड़िया को झट से गोद में उठाकर कमल ने कहा ।"कल मैं और आम मंगवा दूंगा और उनको कटवा भी दूंगा।तुम परेशान मत हो "।तीन साल की उम्र में अपने पिता को खो चुके कमल को एहसास था कि पिता की बरगद सी छाया बच्चों के जीवन में कितना महत्त्व रखती है ।गुुुुड़िया डांट खाने से पहले ही सुबकने लगी थी । शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था । पापा की लाडली गुड़िया को कोई फूल से भी छू ले तो उसके