आघात - 20

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आघात डॉ. कविता त्यागी 20 समय का चक्र अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पूजा का प्रसव-काल निकट आ रहा था, त्यों-त्यों कौशिक जी की चिन्ता बढ़ती जा रही थी। उनकी चिन्ता का मुख्य कारण था कि अभी तक उन्होंने अपने समाज और निकट सम्बन्धियों में किसी को पूजा के गृह-क्लेश के विषय में कुछ नहीं बताया था और न ही बताना चाहते थे। पूजा का प्रसव-समय निकट आते देखकर कई महीने से मायके में आकर रहती हुई बेटी के विषय में पास-पड़ोसी तथा अन्य निकट-सम्बन्धी अनेक तरह के प्रश्न पूछने लगे थे । समाज के लोग अनुमान